"गुनाह ....अब सत्य की कसौटी पर नहीं कसा जाता है
धन का बोलबाला सत्ता की माया थोड़ी ,थोडा भाई भतीजावाद
इसीलिए न कुंती न सूरज.. बस कर्ण ही सजा पता है ".- विजयलक्ष्मी
"मुझे ऊंचाई न देना इतनी कि तन्हा हो जाऊं ,
ए खुदा तू चाहता है तो नदी सा बहने दे मुझको ".- विजयलक्ष्मी
उड़ान हौसलों की हुआ करती हैं ,सच है ये
बिन पंख भी उड़ते हुए देखा है हमने खुद को .- विजयलक्ष्मी
धन का बोलबाला सत्ता की माया थोड़ी ,थोडा भाई भतीजावाद
इसीलिए न कुंती न सूरज.. बस कर्ण ही सजा पता है ".- विजयलक्ष्मी
"मुझे ऊंचाई न देना इतनी कि तन्हा हो जाऊं ,
ए खुदा तू चाहता है तो नदी सा बहने दे मुझको ".- विजयलक्ष्मी
उड़ान हौसलों की हुआ करती हैं ,सच है ये
बिन पंख भी उड़ते हुए देखा है हमने खुद को .- विजयलक्ष्मी
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