Thursday, 22 August 2013

दर्द तो दर्द है ,हम साथ उसीके जी लेते हैं

दर्द तो दर्द है ,हम साथ उसीके जी लेते हैं 
टूट गया कहते हो दिल क्यूँ दुखता है मेरा .

पी लेते है आंसू गम के यादों में जीकर 
हर अहसास में चेहरा ,क्यूँ दिखता है तेरा.

जब सहर के सूरज सा नजरो में आते हो 
सूरज जैसा रंग सुनहरा क्यूँ दिखता है तेरा 
.
खिलते है गुल उपवन में रंग बिरंगे से 
मुस्कुराता सा हर लम्हा क्यूँ दीखता है मेरा

हार हार कर जीत रहे है मुझसे लम्हे सारे
हम हारे ,जीतता लम्हा क्यूँ दीखता है मेरा - विजयलक्ष्मी 

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