कलम से..
Friday, 16 August 2013
खिला सा आसमां है
खिला सा आसमां है चमकते राग धरती के
गगन विस्तार ले बैठा सम्भाले रंग धरती के .
सूरज का आगमन जगाता है मनराग धरती के
झकृत हो दहकता है खुद भी वो साथ धरती के .
- विजयलक्ष्मी
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