ए दिल जरा सम्भल तू अभी मजिल दूर है ,
लम्बी बहुत डगर है ख्वाबों की दुनिया दूर है .
नूर ही नूर है नजर में एक अहसास जगा है
लडखडाये न कदम वक्त के हाथो मजबूर है .
चर्चा देश की और आजादी ए वतन के किस्से
देशभक्तों के घर तारीकियों के किस्से मशहूर हैं .- विजयलक्ष्मी
लम्बी बहुत डगर है ख्वाबों की दुनिया दूर है .
नूर ही नूर है नजर में एक अहसास जगा है
लडखडाये न कदम वक्त के हाथो मजबूर है .
चर्चा देश की और आजादी ए वतन के किस्से
देशभक्तों के घर तारीकियों के किस्से मशहूर हैं .- विजयलक्ष्मी
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