कुछ देर खेल लेने दो हमे , हमारे अपने ही दिल से ,
ये नादान भी कुछ ज्यादा ही है रवायतदारी नहीं जनता ,
कुछ बिखरेगा कुछ रिसेगा टूटकर घाव भी होंगे अभी
सम्भल जायेगा वक्त के साथ अभी सम्भलना नहीं जानता .- vijaylaxmi
ये नादान भी कुछ ज्यादा ही है रवायतदारी नहीं जनता ,
कुछ बिखरेगा कुछ रिसेगा टूटकर घाव भी होंगे अभी
सम्भल जायेगा वक्त के साथ अभी सम्भलना नहीं जानता .- vijaylaxmi
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