"अब तो तन्हाई है मेरी सहेली ..
सबसे जुदा और सबसे अलग है ..
मैं कैसे कहूँ ,लब चुप ही रहेंगे
बीती जो बातें सबसे अलग हैं
जख्मों की गिनती हों न सकेगी
कौन सा है जो दूजे से अलग है ..
अहसास जुदा हैं दिल के मेरे
यादों की दुनिया उनसे अलग है
बिखरें है लम्हे सिमटते नहीं
हर लम्हे की अपनी दुनिया अलग है ..
कह न सकेंगे हम वक्त ए बेवफाई
जी ,ये हुनर वक्त का भी अलग हैं."- विजयलक्ष्मी
सबसे जुदा और सबसे अलग है ..
मैं कैसे कहूँ ,लब चुप ही रहेंगे
बीती जो बातें सबसे अलग हैं
जख्मों की गिनती हों न सकेगी
कौन सा है जो दूजे से अलग है ..
अहसास जुदा हैं दिल के मेरे
यादों की दुनिया उनसे अलग है
बिखरें है लम्हे सिमटते नहीं
हर लम्हे की अपनी दुनिया अलग है ..
कह न सकेंगे हम वक्त ए बेवफाई
जी ,ये हुनर वक्त का भी अलग हैं."- विजयलक्ष्मी
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