Saturday, 15 September 2012

रहमत ए खुदा मिले जा तुझे ....

जिसे खुद का नहीं पता, गिला क्या करेगा किसी से ,
मुबारक उन्हें दिल की राहें,उज्र क्यूँ किसी की खुशी से .

यादें वादें ,बातें सलाहें ,एहसास देकर भी मिलते नहीं ,
दामन में जिसके सम्भाले वही ,उज्र क्यूँ किसी की खुशी से .

हाँ, बे-दर रहे अब यही ठीक है, बेदिली हुई मेरी यूँ भी,
आंसूं की तल्खी बहेगी नहीं, उज्र क्यूँ किसी की खुशी से .

रहमत ए खुदा मिले जा तुझे ,बददुआ का असर क्यूँकर ,
दवा ओ दुआ दोनों दिए ,क्यूँ अब दिल लगाना किसी से .---विजयलक्ष्मी

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