बह चल लहराकर ..
जीवन मिलता है जिंदगी को तटों पर ,
ए नदी न बह इस कदर सैलाब सी .
तेरी जिंदगी किसी एक की कहाँ ,
बह चल लहरा कर ,न रुक तालाब सी .
किश्ती, तटों के पत्थरों से टकराई ,
तट पर ही मिलेगी टूटने के बाद भी ,
वक्त का गिला, न जन्म का सिला ,
फासला मौत का दरमियाँ आब सी .-- विजयलक्ष्मी
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