हसरत ए इल्जाम किसे प्यारी होगी ..
इहलाम की बात हों तो कुछ बात बने ...
कुमुदनी तो चाँद के साथ चली है ...
कमल साथ मिल के खिले तो कोई बात बने ..
ख्वाब नैनों में सजते है सदा ही सबके ..
ख्वाबों में ही कोई ख्वाब सजे तो बात बने ..
सहमी सी साँझ का पहर बीत गया
सूरज दामन थाम के चले तो कोई बात बने ..
रूहों की उदासी का सबब कुछ नहीं
यकीं ही नहीं अब तक कैसे कोई बात बने ..vijaylaxmi
सूरज दामन थाम के चले तो कोई बात बने ..
रूहों की उदासी का सबब कुछ नहीं
यकीं ही नहीं अब तक कैसे कोई बात बने ..vijaylaxmi

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