"खुद को जला लेते हैं हर शाम शमा की तरह हम ,
ये अलग बात है चाँद भी खिडकी से झांकता है मेरी ".- विजयलक्ष्मी
"मुखालफत करे तो सजा की दरयाफ्त कर दूँ ,,,
दहलीज के दीप की खातिर चिंगारी भी मांगी है मुझी से ".- विजयलक्ष्मी
"ये नगमा ए मुहब्बत वफा करके भी बेवफा ही रहेगा ....
न धरती मिली अम्बर से आजतलक वो बेवफा है क्या ."- विजयलक्ष्मी
"ये जुनूं ए हदबंदी तोड़ जाती है अनकही सी बातें ,,,
ये तो अच्छा है कि कैदखाने के दर कि खबर अभी तलक नहीं" .-विजयलक्ष्मी
"ये नगमा ए मुहब्बत वफा करके भी बेवफा ही रहेगा ....
न धरती मिली अम्बर से आजतलक वो बेवफा है क्या ".- विजयलक्ष्मी
"सुनते आये हैं वक्त बदल देता है ,मरहम भी बनता है वक्त सदा ,,
उस अहसास का करें क्या जो लम्हा लम्हा उस छोर से देता है सदा" .- विजयलक्ष्मी
"कोई भरम ही हों तो अच्छा है मुहब्बत भी अभी ,
हकीकत बन गयी, दुनिया खाक में न मिला बैठे हम ".- विजयलक्ष्मी
"शान औ शौकत अपनी नामचीन यूँ तो खुद से ज्यादा है मगर ...
बेमुरव्वती औ शौक चर्राया है जाने क्यूँ हमे खुद से ज्यादा मगर ".- विजयलक्ष्मी
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