तेरी आँखों में हमे दोनों जहाँ दिखते है ,
तुम जो साथ मेरे हों सफर आसाँ दिखते है
ये मेरी आवाज तुझे ही पुकारे जाती है ,
समझ ले दिल को मेरे हमसाये कहाँ मिलते है
वीरान है दुनिया अपनी तेरे बिन ए दोस्त ,
आईने में भी अक्सर तेरे हीं निशाँ मिलते हैं. - विजयलक्ष्मी
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