Tuesday, 31 July 2012

तेरे ही निशाँ मिलते हैं ..



तेरी आँखों में हमे दोनों जहाँ दिखते है ,
तुम जो साथ मेरे हों सफर आसाँ दिखते है


ये मेरी आवाज तुझे ही पुकारे जाती है ,
समझ ले दिल को मेरे हमसाये कहाँ मिलते है


वीरान है दुनिया अपनी तेरे बिन ए दोस्त ,
आईने में भी अक्सर तेरे हीं निशाँ मिलते हैं. - विजयलक्ष्मी 

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