काश ! मेरे मुहल्ले में भी आ जाते महामहीम ,
स्वच्छ होते गली मुहल्ले चमाचम होती सडकें
गडडों वाली सडको से सबका पीछा छुट जाता ,
टूटी पुलिया जुड जाती नदिया का पुल बन जाता ,
नगरपालिका का मुखिया आकर सफाई खुद करवाता ,
नीचे उपर के सारे अधिकारी लगाते गांव के चक्कर ,
महीनों से टंगी फ्यूज ट्यूब को सबसे पहले बदलवाता ,
बदली होती अपने भी मुहल्ले की रंगत सारी ..
चमाचम चमक रही होती नालियां ,पानी न कहीं रुक पाता ,
नुक्कड़ पर बैठा हैण्डपम्प रोता है दिन रात ...
महामहीम के आने से होती सब पर खुशियों की बरसात ..
मना रहे हैं आजकल सभी जोड़ कर हाथ ...
मिल जाये अगली बार हमें भी महामहीम के आने की सौगात .-
विजयलक्ष्मी
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