दोस्ती क्या जानोगे ,
उसपे मिटना क्या जानोगे ,
शब्दों का लुटाना कम था,
खजाना लुटा दूँ ,
वर्जनाओं की तहरीर लिख देना
देखेंगे ताले कौन कौन दर पे लगाने है.
मंजूरी होगी या मौत ही मेरी .विजयलक्ष्मी
उसपे मिटना क्या जानोगे ,
शब्दों का लुटाना कम था,
खजाना लुटा दूँ ,
वर्जनाओं की तहरीर लिख देना
देखेंगे ताले कौन कौन दर पे लगाने है.
मंजूरी होगी या मौत ही मेरी .विजयलक्ष्मी
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