चूडियों का मतलब कमजोरी नहीं होता ,
पायल की छम छम भी लुभाती है हमको ..
दुपट्टा सर पे लेके निकलते है मगर फिर भी ..
मगर कमजोर दिल की ख्वाहिश न की है हमने
हथौड़े सा बजते है जैसे लुहार के हाथ में ,
धमक उसकी जीकर करके देखी है अपने आप मैं ,
टूटकर वृक्ष गिरता आवाज सूनी है कभी उसकी ....
चीत्कार चीरती है जैसे जूनून को...
समन्दर के ऊपर खुले से आसमान में झुलसती है
सहती है दर्द ए बेवफाई सा इजाजत नहीं खनखनाहट की .--विजयलक्ष्मी
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