Saturday, 1 June 2013

गुल बदनाम हो गये हर कही





















गुल बदनाम हो गये हर कही ये रंग औ जमाल क्या मिला ,
काँटों की चुभन सी नजर मिली हुस्न औ कमाल क्या मिला .

भरोसा ही उठ गया जरा नाजुक मिजाजी के ख्याल भर से 
चीर के रख दे जिगर, अहसास ए तमाम ख्याल क्या मिला .

खंजर न तलवार की जरूरत है तिश्नगी बहुत है तुम्हारी यूँभी 
कुफ्र ए खुदाई में खौफ ए कुदरत का बता सवाल क्या मिला .

रंज क्यूँ है जहर देदो न बरसोगे तो भी फ़ैल जायेगा रगों में 
मिट जायेगा हर अफ़सोस न सोच तुफान ए बबाल क्या मिला .

दिया जो राह में था कही ,इतना ही बहुत तेरी देहलीज पे जला
बता न सकेंगे तुझसे मिलके हम ,न पूछ ये सवाल क्या मिला
.- विजयलक्ष्मी 

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