Wednesday 26 June 2013

चलती कलम से रूख ए दिल ए हालत पता करें

इन्तजार ए दीदार में बैठे रहंगे उनकी ताउम्र ,
रहमत उस खुद की चाहिए हमे वो लम्हे अता करे 
जिन्दा रहे सलामत जिन्दगी उनकी ताउम्र 
किस दर पे झुकके मिलेगी ये नियामत पता  करे 
मुझे मंजूर है हर सजा मुकर्रर उनकी ताउम्र 
बांधेगे कौन वक्त हमको ,जरा मांजरात पता करे 
इन्तजार ए बावफाई  निभे  उनकी ताउम्र 
हक औ उतूत उनके मिल जाए हालात पता करे
चाहत में बसा है बाताअरुर्र्फ़ उनकी ताउम्र  
अकीदे में बैठ उनके अकीदत ए हालत पता करे 
रंग ए वफा सरापा हुआ ज्यूँ उनकी ताउम्रअ  
चलती कलम से रूख ए दिल ए हालत पता करें .- विजयलक्ष्मी 

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