देशराग गाओ मिलकर स्वर जरा मिलाकर ,
आज देश खड़ा है एक बार फिर विनाश के कगार पर
किसी को नहीं है चिंता ये आपदाए क्यूँ सर पे आ पड़ी ..
जिसको भी देखिये बस अपनी अपनी पड़ी ..
कभी टैक्स वसूली करो कभी कीमत बढाओ सामन की
जीने नहीं देना गरीब को... जान लेलो किसान की
पूजा धर्म के नाम पर पाखंड हो रहा ..भगवान को भी पत्थर बना बैठा दिया गया
बेमौत मर गये कितने फायदे की दूकान पर
कटते रहे अंगुंठे यहाँ आरक्षण के नाम पर
अर्जुन बन गये सभी धन्नाओ की औलाद ..कर दिया जिन्होंने देश बर्बाद
खरीदे हुए ज्ञान की भरपाई के गमले मेज के नीचे ही लगेगे
जो खरीद कर लाये है खुद भी बाजार में बिकेंगे .
मिल जाये कुछ फक्कड उन्हें पकड़ लाओ ..
लालचियों से तो कम से कम इस देश को बचाओ.- vijaylaxmi
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