निशानी, कहानी ,और एक बूँद आँख का पानी
आदत अदावत शिकायत जख्मों पे हँसने की नादानी ..
खफा सवालों से ख्वाब अकेला यूँ मायूस क्यूँ कर हुए
जख्म छोटा बड़ा बस जख्म है न ,देता है राह ए रवानी ..
वक्त की बात है सारी दोस्त कोई खुद न समझ पाया
कोई बताता है खुद को हिस्सा ओ किस्सा किताबात इंसानी .- विजयलक्ष्मी
आदत अदावत शिकायत जख्मों पे हँसने की नादानी ..
खफा सवालों से ख्वाब अकेला यूँ मायूस क्यूँ कर हुए
जख्म छोटा बड़ा बस जख्म है न ,देता है राह ए रवानी ..
वक्त की बात है सारी दोस्त कोई खुद न समझ पाया
कोई बताता है खुद को हिस्सा ओ किस्सा किताबात इंसानी .- विजयलक्ष्मी
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