Tuesday 4 June 2013

दर्द से वाकिफ हैं एक दुसरे के मगर चुप है

तुम सामने न आओ तो क्या सामने नहीं हो ,
तुम भी जानते हो जानता है दिल तुम यही हो .
इस हकीकत से तुम कब तलक मुख मोड़ोगे
हम यही है आइना भी है और तुम भी यही हो .
दर्द से वाकिफ हैं एक दुसरे के मगर चुप है 
तुम्हे मुझपे यकीं है तुम भी तो मेरा यकीं हो
.- विजयलक्ष्मी

No comments:

Post a Comment