कलम से..
Thursday, 27 June 2013
बजेगा जो राग मन वीणा बजेगी
व्यथा को कथा बना दो ,
साथ में उसे गीत सा गुनगुना दो ,
स्वरों में गमगीनियत मांगते तो हैं मगर
जिन्दगी को उसमे लाकर बिठा दो
बजेगा जो राग मन वीणा बजेगी
हृदय थाप पर ताल संग लहरा दो
.
- vijaylaxmi
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