कलम से..
Thursday, 27 June 2013
मनभावन संग भीग रहे हम बरखा में .
उस दिन, चाँद जब मना करेगा आंगन में आने को बाहर ,
सूरज चमकेगा जब और चांदनी मर जाएगी जिस रात
.
- vijaylaxmi
बह रही है रसधार मुसलाधार और हम भीग रहे है बरखा में ,
बदरा बहुत झूमकर बरसे मनभावन संग भीग रहे हम बरखा में
.
- vijaylaxmi
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