स्वर टूटे नहीं है बांसुरी अधूरी नहीं है ,
दीखते छिद्र उसके स्वरों को देते है पूर्णता
बिन दर्द सरसता कहा उठती है गीतों में
नाचती है जिन्दगी भी लिए संगीत सी समरसता
विरह वेदना निखर निखर बिखरे जब नयनों से
गूंजते कितने स्वर विह्वल से रंग लिए हो सार्थकता
रुनझुन बरखा बरस रही संग मेरे अंगना
सुनहली सपनीली सी एक सुरीली गीतों की अभिव्यंजना .- vijaylaxmi
दीखते छिद्र उसके स्वरों को देते है पूर्णता
बिन दर्द सरसता कहा उठती है गीतों में
नाचती है जिन्दगी भी लिए संगीत सी समरसता
विरह वेदना निखर निखर बिखरे जब नयनों से
गूंजते कितने स्वर विह्वल से रंग लिए हो सार्थकता
रुनझुन बरखा बरस रही संग मेरे अंगना
सुनहली सपनीली सी एक सुरीली गीतों की अभिव्यंजना .- vijaylaxmi
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