कलम से..
Tuesday, 4 June 2013
जिन्दगी बदल जाये भी तो क्या है .
सच की खातिर जरूरत पड़े गर सच मर जाये भी तो क्या है ,
तेरी खुशियाँ सलामत रहे जिन्दगी बदल जाये भी तो क्या है
.
-विजयलक्ष्मी
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