Thursday, 27 June 2013

बात कहे जा आइना !!

मुहब्बत गर हर्फों में बयाँ होती, हरूफ हरूफ लिखते ,
मैहर में मांगनी पड़ी तुम्हे तो तुम्हारी ही मेहरबानी थी
.- vijaylaxmi 


शैदा समझती है आज भी दुनिया जिसकी खातिर मुझे ,
वो दबी जुबाँ से भी कभी शनाख्त ए शनासाई कबुलते नहीं .
शहाब है वो जमीं पर शहामत से है उसकी वाकिफ 
साहिबे अख़लाक़ ओ साबिर, पनाह शहर खमोशां में कबुलते नहीं
.- vijaylaxmi

आइना सी बात चुप सुने था कोई 
हर अपनी सीधी सटीक लगे जितनी 
उससे भी खूबसूरत 
बात कहे जा आइना !!
.- vijaylaxmi 

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