हर विनाश के नृशंस क्षणों पर सृजन रहता है ,
सच यही है ....स्थापना विस्थापन की पूरक है
जिन्दगी रचना का खुद में एक जखीरा
फिर कैसे नहीं ... रचना संरचना की एक सूरत है - विजयलक्ष्मी .
जज्ब कर जज्बात ए मुहब्बत जरा जरा
ये दिल्लगी नहीं यारा दिल की लगी बनी है
हकीकत ए जिन्दगी को कहानी न बता
वो कुसूर था या तोहफा अब बन्दगी बनी है .- विजयलक्ष्मी
सच यही है ....स्थापना विस्थापन की पूरक है
जिन्दगी रचना का खुद में एक जखीरा
फिर कैसे नहीं ... रचना संरचना की एक सूरत है - विजयलक्ष्मी .
जज्ब कर जज्बात ए मुहब्बत जरा जरा
ये दिल्लगी नहीं यारा दिल की लगी बनी है
हकीकत ए जिन्दगी को कहानी न बता
वो कुसूर था या तोहफा अब बन्दगी बनी है .- विजयलक्ष्मी
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