कलम से..
Tuesday, 16 July 2013
किसी को फांके ही फाके नसीब में
बिकाऊ मिडिया की मंदी में कीमत सरकारी खबर अधूरी ....सच झूठ के प्रतिशत भी गडबडाए हैं ...कोई खा रहा है मलाई किसी को फांके ही फाके नसीब में
.- विजयलक्ष्मी
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