देश जल रहा है
भूख बिखरी है सडकों पर
पानी को मोहताज है सब लोग
कोई देह को चीर रहा है निगाहों से
किसी को रतौंधी का प्रकोप हुआ है
वो खफा है यहाँ सबसे
कुछ ईमान बिक रहे थे एक दूकान पर
सबसे महंगा बिका नेता का ईमान
और कोडी में बिक गया इंसान
मोल लगता कैसे ..जनता सस्ती है ..
बिकती है
पिटती है
मरती है
खपती है
इलैक्शन में फिर..... पचास रूपये एक साडी और बोतल में रख देती है
....अपना भविष्य ..दांव पर
जीवन का विशवास
सारी आस
और ..खुद को भी .- विजयलक्ष्मी
भूख बिखरी है सडकों पर
पानी को मोहताज है सब लोग
कोई देह को चीर रहा है निगाहों से
किसी को रतौंधी का प्रकोप हुआ है
वो खफा है यहाँ सबसे
कुछ ईमान बिक रहे थे एक दूकान पर
सबसे महंगा बिका नेता का ईमान
और कोडी में बिक गया इंसान
मोल लगता कैसे ..जनता सस्ती है ..
बिकती है
पिटती है
मरती है
खपती है
इलैक्शन में फिर..... पचास रूपये एक साडी और बोतल में रख देती है
....अपना भविष्य ..दांव पर
जीवन का विशवास
सारी आस
और ..खुद को भी .- विजयलक्ष्मी
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