Tuesday 3 June 2014

" नेह की पूंजी बढ़ेगी तभी जरूरी है खर्च करो"

" जमाखोर बहुत मिल जायेंगे कदम कदम पर ,
बाजार में लाना है उछाल जरूरी है खर्च करो .

जोड़ा है उम्रभर जो भी बचाकर सबसे यहाँ 
बोलो लेकर जाओगे कहाँ जरूरी है खर्च करो 

नदिया रख लेती जल ,बादल न बरसते गर 
वृक्षों से मिलती हवा सौगात जरूरी है खर्च करो 

सूरज ने रौशनी समेटी कब चांदनी सिमटी थी
तारों भरी रात लिए जज्बात जरूरी है खर्च करो

देह भी छूटेगी यही दुनिया से कुछ न जायेगा
नेह की पूंजी बढ़ेगी तभी जरूरी है खर्च करो
"--- विजयलक्ष्मी

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