जिन्दगी सवाल बनी गर वक्त जवाब जरूर देगा ,
गुजरने दो इन नामुराद लम्हों को जख्म पूर देगा||
चाँद सितारे गगन से उतरे गुल बनकर आंगन में
निकलता सूरज उनके चेहरे को ..रंग औ नूर देगा.||
वो जो मौत के सौदागर है गोली बोते रहे सीने में
लिए संगीन के साए वो सोचते है..... खुदा हूर देगा ||
सभ्यता के दुश्मन इंसानियत के लुटेरे बने है जो
लगाए बबूल जिसने उम्रभर उसका फल जरूर देगा||
रंग ए वफा को मापने के पैमाने नहीं बने आजतक
वक्त के मुन्तजिर रहे सदा ही जवाब वक्त जरूर देगा|| -- विजयलक्ष्मी
गुजरने दो इन नामुराद लम्हों को जख्म पूर देगा||
चाँद सितारे गगन से उतरे गुल बनकर आंगन में
निकलता सूरज उनके चेहरे को ..रंग औ नूर देगा.||
वो जो मौत के सौदागर है गोली बोते रहे सीने में
लिए संगीन के साए वो सोचते है..... खुदा हूर देगा ||
सभ्यता के दुश्मन इंसानियत के लुटेरे बने है जो
लगाए बबूल जिसने उम्रभर उसका फल जरूर देगा||
रंग ए वफा को मापने के पैमाने नहीं बने आजतक
वक्त के मुन्तजिर रहे सदा ही जवाब वक्त जरूर देगा|| -- विजयलक्ष्मी
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