Monday 16 June 2014

" जिन्दगी सवाल बनी गर वक्त जवाब जरूर देगा ,"

जिन्दगी सवाल बनी गर वक्त जवाब जरूर देगा ,
गुजरने दो इन नामुराद लम्हों को जख्म पूर देगा||

चाँद सितारे गगन से उतरे गुल बनकर आंगन में 
निकलता सूरज उनके चेहरे को ..रंग औ नूर देगा.||

वो जो मौत के सौदागर है गोली बोते रहे सीने में 
लिए संगीन के साए वो सोचते है..... खुदा हूर देगा ||

सभ्यता के दुश्मन इंसानियत के लुटेरे बने है जो 
लगाए बबूल जिसने उम्रभर उसका फल जरूर देगा||

रंग ए वफा को मापने के पैमाने नहीं बने आजतक
वक्त के मुन्तजिर रहे सदा ही जवाब वक्त जरूर देगा||  
-- विजयलक्ष्मी

No comments:

Post a Comment