Wednesday, 25 June 2014

"........,सम्मान देना कायरता नहीं होती"

धर्म पैरों में सर पे दौलत सवार है 
ईमान मर चुका जमीर भी बीमार है 
इक बाजार चौराहे पर लगा है 
सत्य रोता वहां बेजार है 
लो अच्छा है मुर्दों की बस्ती में कोई बिगुल नहीं बजता युद्ध का -- विजयलक्ष्मी 



युद्ध और योद्धा का अर्थ मालूम नहीं जिसको ,
भगोड़े सिपहसालार बन जनता को खेत रहे हैं .-- विजयलक्ष्मी 




जो बंदूक दूसरे के कंधे धरे फिरते हैं जान की खातिर,
योद्धा औ कायर का राग आलाप सुना रहे हैं घड़ी घड़ी .--- विजयलक्ष्मी 




वीर युद्ध से नहीं डरते,वीर का वीरोचित सम्मान भी करते हैं ,
आतंकियों को वीर कहा किसने,आचरण बदला या व्याकरण .--- विजयलक्ष्मी 




बा-हैसियत लोग जब बेहैसियत लोगो से टकराते हो व्यर्थ में ,
छिपते फिर रहे हो बराबर की हैसियत वालों से, उन्हें वीर कहूं कैसे ?--- विजयलक्ष्मी 




वीर वो नहीं जो दूसरो को नीचा दिखाए ,
वीर वो ,जो वीरता को वीरता से दिखाए 
सत्य कहे ,सत्य धारे ,सत्य से टरे न टारे.
वो कैसा वीर,, मजबूरियों को जो उघाड़े 
युद्ध करते हैं वीर बराबर वालों से आपने 
कायर वो जो सत्य से डरकर झूठ विचारे .-- विजयलक्ष्मी 




जो दुःख से दुखी हो अपनों के ,खुश देख अपने दुःख भूल जाये ,
आधी में करे गुजारा मुस्कुराहट लबो पर लाये,सच्चा वीर कहलाये --- विजयलक्ष्मी 




चंद क़ानून ,किताबी कायदे,इंसानियत नहीं घड सकते ,
पूजा को कायरता कहने वालों,सम्मान देना कायरता नहीं होती--- विजयलक्ष्मी 

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