हमे इन्कलाब करना नहीं आता ,
आन्दोलन की जरूरत बकाया नहीं
क्रांति की चिंगारी पर आतंकवाद लिखा
कौन बकाया राजा था गरीब को जिसने सताया नहीं
हवस जिसको समझा शायद प्यास थी
तार पर सुखाते हैं प्यास समन्दर को बहकाया नहीं
जब अवसाद पनपता है भस्म करता है अपने को
लीला राम ने की मगर सीता को भी बचाया नहीं
करतब सियासी खूब हुए
कृष्ण ने छोड़ा मीरा ने तार जोड़ा राधा ने भी जताया नहीं .- विजयलक्ष्मी
आन्दोलन की जरूरत बकाया नहीं
क्रांति की चिंगारी पर आतंकवाद लिखा
कौन बकाया राजा था गरीब को जिसने सताया नहीं
हवस जिसको समझा शायद प्यास थी
तार पर सुखाते हैं प्यास समन्दर को बहकाया नहीं
जब अवसाद पनपता है भस्म करता है अपने को
लीला राम ने की मगर सीता को भी बचाया नहीं
करतब सियासी खूब हुए
कृष्ण ने छोड़ा मीरा ने तार जोड़ा राधा ने भी जताया नहीं .- विजयलक्ष्मी
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