सत्य मर गया क्या सच में मर गया ,
भेज दो उस लावारिस हुई लाश को तुम भी ,
दफ्न कर देंगे उसे खुद के साथ ...
उसी जगह ,जहां कभी कैक्टस उगा करता था ,
उसी जगह जहाँ फूल भी खिले थे ..
उसी जगह जहाँ भौरें भी गुनगुनाये थे ..
उसी जगह जहाँ तितलियाँ थिरक उठी थी..
उसी जगह जहाँ सावन बरसा था रिमझिम ..
उसी जगह जहाँ शर्म औ हया के घूंघट रहते थे ..
उसी जगह जहाँ खुशबू महक कर बहक उठी थी ..
उसी जगह जहाँ आज श्मशान सा सन्नाटा है ..
उसी जगह जहाँ इंतजार बांटा था ..
उसी जगह जहाँ जिंदगी जी उठी थी मर मर के ..
उसी जगह जहाँ आज दम तोडा है भरोसे ने ..
उसी जगह जहाँ से सफर खत्म हुआ जाता है जीवन का ..
उसी जगह जहाँ से आवाज नहीं आती कभी लौटकर कोई भी ..
उसी जगह को चलो श्मशान बना देते है हम भी अपने ही हाथों से ..
भेज दो उस लाश को दफ्न कर देते है अपने साथ ही हम अपने ही हाथों से .- विजयलक्ष्मी
भेज दो उस लावारिस हुई लाश को तुम भी ,
दफ्न कर देंगे उसे खुद के साथ ...
उसी जगह ,जहां कभी कैक्टस उगा करता था ,
उसी जगह जहाँ फूल भी खिले थे ..
उसी जगह जहाँ भौरें भी गुनगुनाये थे ..
उसी जगह जहाँ तितलियाँ थिरक उठी थी..
उसी जगह जहाँ सावन बरसा था रिमझिम ..
उसी जगह जहाँ शर्म औ हया के घूंघट रहते थे ..
उसी जगह जहाँ खुशबू महक कर बहक उठी थी ..
उसी जगह जहाँ आज श्मशान सा सन्नाटा है ..
उसी जगह जहाँ इंतजार बांटा था ..
उसी जगह जहाँ जिंदगी जी उठी थी मर मर के ..
उसी जगह जहाँ आज दम तोडा है भरोसे ने ..
उसी जगह जहाँ से सफर खत्म हुआ जाता है जीवन का ..
उसी जगह जहाँ से आवाज नहीं आती कभी लौटकर कोई भी ..
उसी जगह को चलो श्मशान बना देते है हम भी अपने ही हाथों से ..
भेज दो उस लाश को दफ्न कर देते है अपने साथ ही हम अपने ही हाथों से .- विजयलक्ष्मी
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