Wednesday, 19 February 2014

" भरोसा खो गया गर ,तो मौत गले लगाएगी ",

भरोसा खो गया गर ,तो मौत गले लगाएगी ,
जानते नहीं थे जिन्दगी यूँही निकल जाएगी 

छिपाया नहीं कुछ, गिरेबाँ में ही झाँका अपने 
ठान लिया गर मौत ने तो मारकर ही जाएगी 

दर्द से डर नहीं न मौत पर शिकवा होगा हमे 
नाम पर इल्जाम छलावा तो रूह को रुलाएगी 

सत्य की धुप नहीं झुलसाती झुलसाकर भी 
सूरत ए इल्जाम बेबात ही जान लेकर जाएगी

गलतफहमी बनती है तो दाग मिटने मुश्किल
मरते ही अहसास जिन्दगी रुखसत हो जाएगी .-- विजयलक्ष्मी

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