भरोसा खो गया गर ,तो मौत गले लगाएगी ,
जानते नहीं थे जिन्दगी यूँही निकल जाएगी
छिपाया नहीं कुछ, गिरेबाँ में ही झाँका अपने
ठान लिया गर मौत ने तो मारकर ही जाएगी
दर्द से डर नहीं न मौत पर शिकवा होगा हमे
नाम पर इल्जाम छलावा तो रूह को रुलाएगी
सत्य की धुप नहीं झुलसाती झुलसाकर भी
सूरत ए इल्जाम बेबात ही जान लेकर जाएगी
गलतफहमी बनती है तो दाग मिटने मुश्किल
मरते ही अहसास जिन्दगी रुखसत हो जाएगी .-- विजयलक्ष्मी
जानते नहीं थे जिन्दगी यूँही निकल जाएगी
छिपाया नहीं कुछ, गिरेबाँ में ही झाँका अपने
ठान लिया गर मौत ने तो मारकर ही जाएगी
दर्द से डर नहीं न मौत पर शिकवा होगा हमे
नाम पर इल्जाम छलावा तो रूह को रुलाएगी
सत्य की धुप नहीं झुलसाती झुलसाकर भी
सूरत ए इल्जाम बेबात ही जान लेकर जाएगी
गलतफहमी बनती है तो दाग मिटने मुश्किल
मरते ही अहसास जिन्दगी रुखसत हो जाएगी .-- विजयलक्ष्मी
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