सत्य का चन्दन प्रेम का दुशाला पहनकर ठगी नहीं करते ,
वो कोई और ही होंगे जिनके मनो पर मनो मेल भरा होगा
जिन्दा रहे जिन्दगी का स्वागत करते है ,मौत से नहीं डरते
ईमान से इम्तेहान देंगे नकल का पर्चा किसी और ने धरा होगा .
राजनीती नहीं आती सादगी भाती बहुत है यही सच है यारा
यदि भरोसा नहीं हमपर जरूर कुछ तो कभी गुनाह करा होगा
इबादत ए खौफ नहीं करते मुकम्मल पहचान का इन्तखाब है
पुरसुकू रहने की कवायद में गलत सदा ही कबूल करा होगा
सुना है झूठ के पांव नहीं होते मगर बोलता है सर पे चढ़कर
ईमान की बात है झूठ पाँव में और सत्य ही सर पर धरा होगा .- विजयलक्ष्मी
वो कोई और ही होंगे जिनके मनो पर मनो मेल भरा होगा
जिन्दा रहे जिन्दगी का स्वागत करते है ,मौत से नहीं डरते
ईमान से इम्तेहान देंगे नकल का पर्चा किसी और ने धरा होगा .
राजनीती नहीं आती सादगी भाती बहुत है यही सच है यारा
यदि भरोसा नहीं हमपर जरूर कुछ तो कभी गुनाह करा होगा
इबादत ए खौफ नहीं करते मुकम्मल पहचान का इन्तखाब है
पुरसुकू रहने की कवायद में गलत सदा ही कबूल करा होगा
सुना है झूठ के पांव नहीं होते मगर बोलता है सर पे चढ़कर
ईमान की बात है झूठ पाँव में और सत्य ही सर पर धरा होगा .- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment