एक दर्द हिस्से में आया
पी लिया
एक जख्म आकर टकराया
सह लिया
अँधेरा बढ़ गया जब जब
मन बाती बना लिया
पीली सरसों के फूलो से लेकर
मुस्कुराहट को सजा लिया
मन पतंग को
अहसास की डोर से उड़ा लिया
इस तरह ...
हमने तो अपना वसंत मना लिया
और ...तुमने ..? -- विजयलक्ष्मी
"दर्द जब बहने रहने
साथ में रहने लगे
जिन्दगी बन जाये दास्ताँ..
कोई न बाकी रहे रास्ता ..
तन्हाइयों का हाथ पकड़ा
और ..
चल दिए उस छोर
जहां तन्हा दिया छोड़
,
और ..कर गुजरे वही ...
जिसकी आस न थी
बाकी समन्दर सी प्यास थी ,,
और हम ......दूर तलक ..
अहसास के तार पर लटके हुए
अकेले "......विजयलक्ष्मी
पी लिया
एक जख्म आकर टकराया
सह लिया
अँधेरा बढ़ गया जब जब
मन बाती बना लिया
पीली सरसों के फूलो से लेकर
मुस्कुराहट को सजा लिया
मन पतंग को
अहसास की डोर से उड़ा लिया
इस तरह ...
हमने तो अपना वसंत मना लिया
और ...तुमने ..? -- विजयलक्ष्मी
"दर्द जब बहने रहने
साथ में रहने लगे
जिन्दगी बन जाये दास्ताँ..
कोई न बाकी रहे रास्ता ..
तन्हाइयों का हाथ पकड़ा
और ..
चल दिए उस छोर
जहां तन्हा दिया छोड़
,
और ..कर गुजरे वही ...
जिसकी आस न थी
बाकी समन्दर सी प्यास थी ,,
और हम ......दूर तलक ..
अहसास के तार पर लटके हुए
अकेले "......विजयलक्ष्मी
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