तुम नहीं हो महज एक शrब्द
तुम नहीं हो महज एक नाम नाम
तुम नहीं हो मात्र एक अहसास
तुम नहीं हो केवल साँस ही
तुम नहीं हो महज महकता सा ख्वाब भी
जिन्दगी का अजाब तो बिलकुल भी नहीं हो
तुम मात्र पूजा भी नहीं हो
तुम नहीं हो सजा भी नही क़ज़ा भी नहीं
तुम नहीं हो केवल दीवानगी मेरी
क्या समझा ईमान ही हो बस
क्या तुम जमीर के पास से भी नहीं गुजरे
आकाश तो खुद शून्य है तुम वो भी नहीं
बयार ,बहार, बसंत ,मलय चमन ,फूल , कांटे...या ...
भंवरे या केवल तितली कहना पूरा नहीं है तुम्हे
सब में तुम्हारा ही अंश हैं
प्रेम प्रीत की कहानी में
जीवन की रवानी में
अहसास रूहानी में
तुम ..सिर्फ तुम ही हो
देह से दूर
मन्दिर की घंटियों सा बजता राग
मेरी उपासना ..
जहाँ मैं हूँ ..मैं ही नहीं हूँ "हम है "
"अनंत सा आत्मा तक फैला है विस्तार .. तुम्हारा "- विजयलक्ष्मी
तुम नहीं हो महज एक नाम नाम
तुम नहीं हो मात्र एक अहसास
तुम नहीं हो केवल साँस ही
तुम नहीं हो महज महकता सा ख्वाब भी
जिन्दगी का अजाब तो बिलकुल भी नहीं हो
तुम मात्र पूजा भी नहीं हो
तुम नहीं हो सजा भी नही क़ज़ा भी नहीं
तुम नहीं हो केवल दीवानगी मेरी
क्या समझा ईमान ही हो बस
क्या तुम जमीर के पास से भी नहीं गुजरे
आकाश तो खुद शून्य है तुम वो भी नहीं
बयार ,बहार, बसंत ,मलय चमन ,फूल , कांटे...या ...
भंवरे या केवल तितली कहना पूरा नहीं है तुम्हे
सब में तुम्हारा ही अंश हैं
प्रेम प्रीत की कहानी में
जीवन की रवानी में
अहसास रूहानी में
तुम ..सिर्फ तुम ही हो
देह से दूर
मन्दिर की घंटियों सा बजता राग
मेरी उपासना ..
जहाँ मैं हूँ ..मैं ही नहीं हूँ "हम है "
"अनंत सा आत्मा तक फैला है विस्तार .. तुम्हारा "- विजयलक्ष्मी
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