जीवन संघर्ष है
नेह बरसा
बयार बसंती सी
मन बिहसा
खिल खिलाती
मुस्काती है जिन्दगी
साथ हो तुम्ही .
रास्ता चला था
झरना मंथर सा
मंजिल जहाँ
पुष्पित पुष्प
पल्लवित लतायें
जीवन संग
हरित मन
चपल चंचल सा
मन तरंग
शिकायत है
रवायत कैसी हैं
इनायत है
घुटन क्यूँ हैं
मन तरसा क्यूँ है
रुदन क्यूँ है
राजनीति है
जीवन संघर्ष है
परिणति है ...- विजयलक्ष्मी
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