Wednesday, 30 May 2018

जिन्दगी क्यूँकर सवाल है ,,

जिन्दगी क्यूँकर सवाल है ,,
क्यूँ तुम बिन लगे बेहाल है ||


अंखियों में तुम हो सांवरे 
तुम बिन अश्क का उबाल है||


चाँद बिन अँधेरी रात हुई 
हाँ ,ये मौसम ही नागंवार है||


ये तन्हाई लम्बी रातो से
खुशियों का पड़ा अकाल है ||


गुनाहगारी लिख दो नाम
हम यहीं तो हमख्याल है ||


ए जिन्दगी तुम भी खूब हो
क्या मुस्कान इक मलाल है || 


सदके में तेरे सबकुछ दिया
हुई अब जीस्त भी निहाल है ||


जख्म मेरे क्यूँ रख दू गिरवी
दर्द करता रफू भी कमाल है ||


सूरज चंदा अजब साथ बिन 
फूलों का खिलना मुहाल है ||
---------- विजयलक्ष्मी

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