Friday, 1 August 2014

" नागपंचमी "

नाग पंचमी ...
".आप सब के लिए मंगलमय हो "

नागों ने दूध पीने से किया इनकार 
कहते है कैसे इंसान पर करे एतबार 
बदनाम हम है, खुद उगलते रहे जहर हरबार
हड़ताल कर रहे हैं, मांगे पूरी हो इसबार 
प्रशाशनिक सेवा परीक्षा वाले सडक पर पड़े हैं 
कभी ऑटो वालो की चलती है 

नेताओ ने तो हमारी बिरादरी ही बदल दी 
हमारे जहर का तोड़ ढूंढ लिया और खुद उगलने लगे हैं 
इसीलिए हम भी हड़ताल पर निकल पड़े हैं
कहते हैं इंसानी कौम ज्यादा जहरीला जहर बना रही है 
हमारी सत्ता जहर की छिनती जा रही हैं 
हमे सोचना होगा ...कोई नया रास्ता खोजना होगा 
जिससे हमारी फिर दरकार हो .
हर नये असलहे के रूप में हमारे जहर की दरकार हो 
इसबार दूध भी खुद को पिलाओ --- विजयलक्ष्मी

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