Saturday, 9 August 2014

" रक्षाबंधन सभी के लिए शुभ एवं सार्थक हो "

 बिना सरकारी कर्फ्यू के लडको के लिए कर्फ्यू का सा माहौल ...बस ..ट्रेन गाड़ी सडक ..गली मुहल्ला ..सब जगह सन्नाटा ...अरे भाई कल रक्षाबन्धन जो है ......रक्षा सूत्र बंधा तो मर्यादा में बंधना होगा ....ये संस्कार संकृति बनकर पुरुष की कामुकता को नियंत्रित जो करती है ..सामाजिक मर्यादा सिखाती है ....और जिन्हें इस मर्यादा को नहीं मानना वो कैसे किसी से राखी बंधवा सकते हैं ?

संस्कार और संकृति का अनूठा स्वरूप हमारे देश में ही मिलता है हर रिश्ता संस्कारित है ,,मर्यादित है ...मर्यादा की वर्जनाओं को लांघना सुशिक्षित समाज की परिधि में समाहित नहीं होता ..राखी अर्थात ---रक्षा सूत्र ......इंद्र द्वारा अपनी राक्षस पत्नी शची को पहली बार बांधकर अपने ससुराल वालो से अपनी रक्षा के हित किया गया बंधन था ..... शची से विवाह से नाराज राक्षसों ने इंद्र पर हमला बोल दिया डरपोक इंद्र ने रनिवास में शची से अपने जीवन सुरक्षा की गुहार की थी तब से आज तक बदलते परिवेश के साथ ये रिश्ता भाई बहन के सात्विक और स्वस्थ परम्परा में शामिल हो गया ...इस पर्व पर हर बहन को चाहिए अपने भाई एक ही चीज मांगे ..."वो है नारी सम्मान ".....नारी भोग्या नहीं अपितु सम्मानीया है ..धन दौलत से संस्कार नहीं मिलते ...किन्तु संस्कारित पर एक नई सोच को जन्म मिले ......तो हमारा परिवेश सुंदर और सुदृढ़ होगा ...जो आज की जरूरत है ..जितनी जरूरत लडको में सुधार की है उतनी ही तत्परता लडकियों के वैचारिक परिवर्तन की भी है ...अत: हिन्दुस्तानी संस्कृति की अच्छी बातो को सामने उजागर कर अपने संस्कारों का भी परिचय देना होगा ....तभी रक्षाबन्धन के पर्व का वास्तविक स्वरूप जीवन में उतर पायेगा . रक्षाबन्धन सभी के लिए शुभ एवं सार्थक हो --- विजयलक्ष्मी

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