हर सफर की मंजिल होती है सुना हमने ,
मुहब्बत तो सफर ही सफर है गुना हमने .
थक जाता है मुसाफिर हर सफर में कभी ,
सफर खूबसूरत थकान को कब बुना हमने .
हकीकत से वाकिफ हो दुश्मनी जान लेगी ,
फिर भी रास्ता दुश्मनी का ही चुना तुमने .
बहुत बेतरतीब हैं ये रंजिश ए दुनियादारी ,
कलम हुआ सर मेरा ,आह को सुना तुमने
क्यूँ अफ़सोस मरने का कफन गुलों का है
ये अलग बात है गुल काँटों संग चुना तुमने -- विजयलक्ष्मी
मुहब्बत तो सफर ही सफर है गुना हमने .
थक जाता है मुसाफिर हर सफर में कभी ,
सफर खूबसूरत थकान को कब बुना हमने .
हकीकत से वाकिफ हो दुश्मनी जान लेगी ,
फिर भी रास्ता दुश्मनी का ही चुना तुमने .
बहुत बेतरतीब हैं ये रंजिश ए दुनियादारी ,
कलम हुआ सर मेरा ,आह को सुना तुमने
क्यूँ अफ़सोस मरने का कफन गुलों का है
ये अलग बात है गुल काँटों संग चुना तुमने -- विजयलक्ष्मी
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