" पूरे गाँव को सिंघाड़े उगाने होंगे ,
गाँव में पानी ठहरा है आजकल ,
लहर उठती नहीं सहमा दरिया
ये पानी कुछ गहरा है आजकल .
झुकी पलको के साए में न झाँक
बेतरतीब सा ख्वाब ठहरा है आजकल
बंदूक से भी होने लगी शरारते
वारदातों का पहरा है आजकल
जो खेत तरसे थे कल बरसात को
बाढ़ का पानी ठहरा है आजकल "--- विजयलक्ष्मी
गाँव में पानी ठहरा है आजकल ,
लहर उठती नहीं सहमा दरिया
ये पानी कुछ गहरा है आजकल .
झुकी पलको के साए में न झाँक
बेतरतीब सा ख्वाब ठहरा है आजकल
बंदूक से भी होने लगी शरारते
वारदातों का पहरा है आजकल
जो खेत तरसे थे कल बरसात को
बाढ़ का पानी ठहरा है आजकल "--- विजयलक्ष्मी
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