सुना है आज सद्भावना दिवस है
धर्म और सम्प्रदाय के बीच महफिल में रो रही है सद्भावना ,
कुछ जातियों का जोर कुछ निजामो की मुट्ठी में खो रही है सद्भावना ||
कुछ पौरुषता के दिखावे हांडी पर चढ़ बैठे है युगों युगों से
इंसानियत के अस्तित्व को खत्म करने पर आमादा हो रही सद्भावना ||-- विजयलक्ष्मी
धर्म और सम्प्रदाय के बीच महफिल में रो रही है सद्भावना ,
कुछ जातियों का जोर कुछ निजामो की मुट्ठी में खो रही है सद्भावना ||
कुछ पौरुषता के दिखावे हांडी पर चढ़ बैठे है युगों युगों से
इंसानियत के अस्तित्व को खत्म करने पर आमादा हो रही सद्भावना ||-- विजयलक्ष्मी
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