कलम से..
Sunday, 27 May 2012
....खामोशी को खामोश ही रहने दे ....
इस खामोशी को ख़ामोश ही रहने दे ....
उज्र ए सिला मौत की सी तासीर न छुपाये बैठा हों कहीं .
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विजयलक्ष्मी
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