Tuesday, 22 May 2012

तो मुश्किल क्यूँ है उसका कविता में बोलना


दिल के भावों में शब्दों में तौलना ...
हाथों की चूड़ी का खन खन बोलना 

बहकना हवा सा और पंछी सा चहकना 
महकना गुलों सा भौरों सा मन डोलना 

लोरी का अहसास नींद आँखों में आना 
ममतामयी स्पर्श , गोदी में अखियाँ खोलना
 

देता अहसास बहुरंगी बहनों का बुनना
घड्ना जीवन के लम्हों को,उनका जीवन बोलना ..

वो भी कृति उसी रचयिता की है अमीत
तो मुश्किल क्यूँ है उसका कविता में बोलना ---विजयलक्ष्मी .

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