कलम से..
Wednesday, 16 May 2012
नव सुमन की प्रीत ...
नव सुमन की प्रीत जैसी
विहग खग संग मैना सी ..
चाँदनी संग नृत्य जैसे हों ..
पल्लवित सुख रैना सी .-
मुदित मन मंडित भवन
वेणी केश अलंकृता सी ..
मंजरी की महक उपवन
नव जीवन परिणीता सी ..--विजयलक्ष्मी
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