Tuesday, 22 May 2012

दहेज के सौदागर .....










दहेज के सौदागरों के घर जाते ही क्यूँ है लोग...
अपनी धनलालसा भी तो दिखाते है लोग ...
लड़की शादी के वक्त दहेज बुरा ही लगता सबको ..
लडको की शादी के वक्त ऊँची दूकान ढूंढवाते है लोग ...
लाते है गृहलक्ष्मी को धनलक्ष्मी बना कर ही ..
मुकरने पर.. फिर आग भी वही जिंदगी में ... लगाते है लोग ...
हर रोज होते है खून कितने सारे ..न जाने क्यूँ फिर भी ...
सम्भलते नहीं है लोग .. दहेज दानव से मुख मोड़ते नहीं है लोग ....
लालची को उसके घर का पता क्यूँ नहीं दिखाते हैं लोग ..
हाथ जोड़ ,उनको छोड़, बिटिया क्यूँ नहीं ब्याहते है लोग
जो जितना कलदार लिए है ,उसके घर वरण को जाते है क्यूँ लोग ..
समाज से निकाल बाहर करते क्यूँ नहीं है लोग ..----विजयलक्ष्मी
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