Thursday, 31 May 2012

एक दिन का बंद ...



एक दिन का बंद देश की करोडो का घाटा है 
घटना मानते है तो एक दिन पीछे राष्ट्र रह जाता है 
एक दिन का उत्पादन बस वक्त यूँही खाता है ..
व्यापर एक दिन का करोडो का चुना लगाता है ...
बैंक का ब्याज और मूलधन एक दिन का मारा जाता है ..
धन करता कमाल तभी जब चलता रहे ..
एक दिन खातिर विकास मर जाता है ...
काम के साथ विरोध करना चाहिए ...
सबको काली पट्टी जरूर लगाना चाहिए ...
सडको पर चक्का जम हमरे देश का हाल बुरा समझो ..
और बंद करने वालो की नियत बुरी हों न हों .
राष्ट्र की तकदीर बुरी हों जाती है ....
हमारी जिंदगियां एक दिन से पिछड़ जाती है
एक दिन के सूरज को बंद को कह्देती हूँ
फिर क्या होगी हालत देखलो ... सोचलो .................
..त्राहिमम त्राहिमाम .!!--विजयलक्ष्मी 




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