सूरज उतर जमीं पर आ गया जैसे
धरती पे रंग अबीरी सा हों छाया जैसे ,
या तपिश रंगो सूरत बदल रही है ,अब
लगा , सूरज संग धरती पिघल रही है जैसे ...
सूरज के गलीचे पर थिरक उठा मन
बजने लगी हों जैसे रुनझुन सरगम
खिल उठा मन का उपवन ..
लगता है खुश होकर
आज अम्बर घर आया मेरे
सूरज ने भी फेरा डाला है घर मेरे ..
कोयल की कुहुक ..छूती है मन को
तरंग उठी मन में कितनी ..
झूमझूम धरती अब नाचे ..
अम्बर प्रेम सुधा बरसाए ..--विजयलक्ष्मी
विशेष आभार ........राजीव चतुर्वेदी जी .
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