Wednesday, 23 May 2012

बदलती जिंदगी क्यूँ ......



बदलती जिंदगी क्यूँ उसी के नाम से अमीत 

दिल तो पत्थर सा हमारा ही हुआ करता है सदा..


जानना चाहता नहीं कोई नादाँ दिल की नादानी
प्यार कहते रहे जिसे हम वो दिल को नहीं पहचानता

गुलों से घर सजाने की खतिर गुलों को ढूंढते कई मिले
वो मगर आया नहीं जिसकी सुनी इस दिल ने सदा

मुह मोड जाना देखा सबने, न देखा दामन खारों भरा
हम बेवफा सही, रवायत ए गुल ए चमन नहीं जानता

रोकते किसको भला हम जब मुड के भी देखा नहीं
वो चल दिया हम देखते ही रहे आज भी हमको सजा .--विजयलक्ष्मी .

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